Zakir Khan is an Indian stand-up comedian, writer, and presenter. He has written so many poems and Shayari. Beside standup comedian, Zakir is also a brilliant shayar. His poem and Shayari are very heart touching. He is very famous among Indian Youth. He has gained huge publicity due to his poetry and stands up comedy. Here we share one of the best poem ' Mein Shunya Pe Savar Hu, मैं शुन्य पर सवार हूँ|
मैं शुन्य पर सवार हूँ
मैं शुन्य पर सवार हूँ
बे अदब सा मैं खूमार हूँ
अब मुश्किलो से क्या डरु
मैं ख़ुद केहर हज़ार हूँ
मैं शुन्य पर सवार हूँ।
यह ऊँच नीच से परे
मजाल आँख में भरे
मैं लढ़ पढ़ा हूँ रात से
मशाल हाँथ में लिए
ना सूर्ये मेरे सात है
तो क्या नई यह बात हैं
वह शाम को है ढल गया
वह रात से था डर गया
मैं जुगनुओं का यार हूँ
मैं शुन्य पर सवार हूँ।
भावनाएँ है मर चुकी
सामवेदनाए हैं ख़त्म हो चुकि
अब दर्द से क्या डरूँ
यह जिंदगी ही ज़ख़्म है
मैं रहती मात हूँ
मैं बेजान स्याह रात हूँ
मैं काली का श्रृंगार हूँ
मैं शुन्य पर सवार हूँ
मैं शुन्य पर सवार हूँ
हूँ राम का सा तेज मैं
लंका पति सा ज्ञान हूँ
किसकी करू मैं आराधना
सबसे जो मैं महान हूँ
ब्राह्मण का मैं सार हूँ
मैं जल प्रवाह निहार हूँ
मैं शुन्य पर सवार हूँ।
मैं शुन्य पर सवार हूँ।
Zakir Khan Poem – मैं शुन्य पर सवार हूँ | Full Poem "Mian Shunya Pe Sawar Hun"
मैं शुन्य पर सवार हूँ
मैं शुन्य पर सवार हूँ
बे अदब सा मैं खूमार हूँ
अब मुश्किलो से क्या डरु
मैं ख़ुद केहर हज़ार हूँ
मैं शुन्य पर सवार हूँ।
यह ऊँच नीच से परे
मजाल आँख में भरे
मैं लढ़ पढ़ा हूँ रात से
मशाल हाँथ में लिए
ना सूर्ये मेरे सात है
तो क्या नई यह बात हैं
वह शाम को है ढल गया
वह रात से था डर गया
मैं जुगनुओं का यार हूँ
मैं शुन्य पर सवार हूँ।
भावनाएँ है मर चुकी
सामवेदनाए हैं ख़त्म हो चुकि
अब दर्द से क्या डरूँ
यह जिंदगी ही ज़ख़्म है
मैं रहती मात हूँ
मैं बेजान स्याह रात हूँ
मैं काली का श्रृंगार हूँ
मैं शुन्य पर सवार हूँ
मैं शुन्य पर सवार हूँ
हूँ राम का सा तेज मैं
लंका पति सा ज्ञान हूँ
किसकी करू मैं आराधना
सबसे जो मैं महान हूँ
ब्राह्मण का मैं सार हूँ
मैं जल प्रवाह निहार हूँ
मैं शुन्य पर सवार हूँ।
मैं शुन्य पर सवार हूँ।